'अर्बन नक्सल' के बाद अब 'साहित्यिक नक्सल', ये केवल जुमला नहीं है - नज़रिया

'शववाहिनी गंगा' नाम की चर्चित गुजराती कविता को पढ़ने और साझा करने वालों को साहित्यिक नक्सल घोषित करना आख़िर किस ओर इशारा करता है?

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