लिव-इन रिलेशनशिप कब क़ानून की नज़र में सही हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप का क़ानूनी दर्जा तय कर दिया है, फिर भी कई निचली अदालतों में इन्हें 'गैर-क़ानूनी' बताया जाता रहा है.

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