मुकेश चंद्राकर की हत्या ने फिर से बताया बस्तर में पत्रकारिता करना कितना चुनौतीपूर्ण

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाक़ों में स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के सामने कई चुनौतियां हैं. जहां नक्सली इन्हें पुलिस का मुख़बिर मानते हैं, तो पुलिस भी इन पत्रकारों को शक की निग़ाह से देखती है.

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